जेन ह दुख म रोवय नइ
मया के फसल बोवय नइ
मुड़ ल कभू नवोवय नइ
मन के मइल ल धोवय नइ
ओहा मनखे नोहय जी।
जेन ह जीव के लेवइया ए
भाई भाई ल लड़वइया ए
डहर म कांटा बोवइया ए
गरीब के घर उजरइया ए
ओहा मनखे नोहय जी।
जेन ह रोवत रोवत मरे हे
भाग ल अगोरत खरे हे
बेमानी के दऊलत धरे हे
जलन के भाव ले भरे हे
ओहा मनखे नोहय जी।
जेन चारी चुगली करत हे
दाई ददा के घेंच धरत हे
पइया के खातिर मरत हे
आन के सुख म जरत हे
ओहा मनखे नोहय जी।
जेन कभू नइ पतियात हे
अपन ल नइ बतियात हे
लइकामन ल लतियात हे
सीधवा पाके हतियात हे
ओहा मनखे नोहय जी।
जेन दारू गांजा पियत हे
भक्ति सेवा बिन जियत हे
महतारी ल नइ चिन्हत हे
अऊ अब्बड़ खीख नियत हे
ओहा मनखे नोहय जी।
दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर
का बात हे दिनेश भाई अड़बड़ सुग्घर…जम्मो रचना के हर भाखा म सन्देश भरे हे…..बधाई हो
हर भाखा म जादू हे भाई अड़बड़ सुग्घर रचना बधाई हो आपमन ल
अड़बड़ सुग्घर रचना दिनेश भाई हर भाखा म जादू हे…बधाई हो
अड़बड़ सुग्घर रचना भाई हर भाखा म जादू हे बधाई हो
dhnyavad sunil bhiya ..aisnhe manobal badat rahav
बहुत अच्छा रचना हे I DINESH JI BAHUT BAHUT BADHAI
vijendra ji l dhanyvad
सुघ्घर कबिता …हार्दिक बधाई …
Lahre ji l dhanyvad
sugghar dinesh bhai
Dhanyvad ajay bhaiya
सही बात ए ग प्रेमचंद हर घलाव एही बात ल कहे हावय कि मनखे वोही ए जौन दुख म रोथे सुख म हॉसथे आऊ बउछा जाथे तव ओकर गुस्सा के का कहना ? कहे के मतलब सरल – सहज ,व्यवहार हर फबथे ।